मध्य प्रदेश का भौतिक विभाजन – MP GK

मध्य प्रदेश का भौतिक विभाजन – MP GK

इस लेख में हम मध्य प्रदेश के भौतिक विभाजन के बारे में पढ़ेंगे , जो राज्य के सभी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण होगा | MP GK ( Physical division of Madhya Pradesh )

मध्यप्रदेश का भौतिक विभाजन राज्य की भौगोलिक संरचना, नदियों, पर्वतों, पठारों और घाटियों के आधार पर किया गया है। यह विभाजन न केवल भौगोलिक विविधता को दर्शाता है, बल्कि जलवायु, मिट्टी, वनस्पति और जनजातीय संस्कृति पर भी गहरा प्रभाव डालता है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:


1. विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वत श्रेणियां

  • विंध्याचल पर्वत:
    • यह राज्य के उत्तर और मध्य भाग में स्थित है।
    • नर्मदा नदी के उत्तर में फैली यह श्रेणी एक प्राकृतिक विभाजन रेखा का काम करती है।
    • इसकी औसत ऊंचाई 300 से 600 मीटर है।
    • यह इलाका मुख्य रूप से वन संपदा और औषधीय पौधों के लिए प्रसिद्ध है।
  • सतपुड़ा पर्वत:
    • यह मध्यप्रदेश के दक्षिण में स्थित है और महाराष्ट्र तक फैला हुआ है।
    • यह नर्मदा और ताप्ती नदियों के बीच स्थित है।
    • सतपुड़ा श्रेणी का सबसे ऊंचा शिखर “धूपगढ़” है, जो पचमढ़ी (मध्यप्रदेश का एकमात्र हिल स्टेशन) में स्थित है।
    • यह क्षेत्र वन्यजीव अभ्यारण्यों और जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है।

2. मालवा का पठार

  • यह मध्यप्रदेश के पश्चिमी और मध्य भाग में स्थित है।
  • यह क्षेत्र काले कपास मिट्टी (रेगुर मिट्टी) के लिए प्रसिद्ध है, जो गेहूं, सोयाबीन और कपास की खेती के लिए उपयुक्त है।
  • चंबल, क्षिप्रा, कालीसिंध और बेतवा नदियां इस क्षेत्र को जल प्रदान करती हैं।
  • उज्जैन, इंदौर और देवास जैसे शहर इस क्षेत्र में स्थित हैं।
  • यह क्षेत्र ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह प्राचीन मालवा राज्य का हिस्सा था।

3. नर्मदा और ताप्ती घाटियां

  • नर्मदा नदी मध्यप्रदेश की जीवन रेखा मानी जाती है और यह पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है।
  • नर्मदा घाटी उपजाऊ है और यहां धान, गेहूं और दलहन की खेती की जाती है।
  • ताप्ती घाटी राज्य के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है और मुख्य रूप से खनिज संसाधनों (कोयला और चूना पत्थर) के लिए जानी जाती है।

4. बुंदेलखंड और बघेलखंड

  • बुंदेलखंड:
    • यह मध्यप्रदेश के उत्तर-पश्चिमी भाग में फैला हुआ है।
    • क्षेत्र में पानी की कमी और सूखे की समस्या रहती है।
    • यह इलाका किलों, महलों और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है।
    • खजुराहो और ओरछा जैसे पर्यटन स्थल यहीं स्थित हैं।
  • बघेलखंड:
    • यह उत्तर-पूर्वी मध्यप्रदेश में स्थित है और मुख्य रूप से रीवा और सतना जिलों को कवर करता है।
    • इस क्षेत्र में विंध्याचल पर्वत श्रेणियों का प्रभाव है।
    • यहां चूना पत्थर और संगमरमर के भंडार पाए जाते हैं।

5. महाकौशल क्षेत्र

  • यह राज्य के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित है और जबलपुर, मंडला, बालाघाट जैसे जिलों को कवर करता है।
  • नर्मदा नदी इस क्षेत्र का प्रमुख जल स्रोत है।
  • यह क्षेत्र खनिज संपदा (मैंगनीज, तांबा) के लिए प्रसिद्ध है।
  • यहां के जंगल टाइगर रिजर्व और वन्यजीव अभ्यारण्यों के लिए जाने जाते हैं।

6. चंबल घाटी

  • यह उत्तर-पश्चिमी मध्यप्रदेश में स्थित है और चंबल नदी इस क्षेत्र का मुख्य हिस्सा है।
  • चंबल नदी के बीहड़ क्षेत्र में गहरी खाइयां और उबड़-खाबड़ भूभाग पाया जाता है।
  • यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से डाकुओं और अपराधियों के लिए जाना जाता था।
  • चंबल नदी अब जल संसाधन और सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण हो गई है।

7. विदर्भ और गोंडवाना क्षेत्र

  • यह दक्षिण-पूर्वी मध्यप्रदेश में स्थित है।
  • यह क्षेत्र जनजातीय आबादी और उनकी सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है।
  • यहां के जंगल वन उत्पाद, औषधीय पौधे और वन्यजीवों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

भौतिक विभाजन का महत्व

  • कृषि: राज्य के अलग-अलग हिस्से विभिन्न फसलों के लिए उपयुक्त हैं।
  • खनिज संसाधन: मध्यप्रदेश खनिजों में समृद्ध है, जिसमें कोयला, चूना पत्थर, तांबा और मैंगनीज शामिल हैं।
  • पर्यटन: खजुराहो, ओरछा, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, और पचमढ़ी जैसे स्थल भौतिक संरचना का हिस्सा हैं।
  • वन और वन्यजीव: सतपुड़ा और महाकौशल क्षेत्र जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध हैं।

मध्यप्रदेश का यह भौतिक विभाजन न केवल इसकी आर्थिक और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है, बल्कि राज्य के सतत विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


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